बहुत लंबे समय से हमारे देश में बिजली की मांग और आपूर्ति के बीच बहुत बड़ा अंतर रहा है, परन्तु ऊर्जा के क्षेत्र में पिछले दशक में महत्वपूर्ण सुधार हुए हैं। वर्ष 2009-10 से 2016-17 की अवधि के दौरान ऊर्जा उत्पादन 7,46,644 मिलियन यूनिट से 11,35,334 मिलियन यूनिट हो गया, जिसमें 52% की वृद्धि हुई है। ऊर्जा उत्पादन एवं आपूर्ति का अंतर 2009-10 में 10.1% था, जो 2016-17 में कम होकर 0.7% रह गया है। इस उन्नति का कारण मुख्य रूप से बिजली उत्पादन, संचरण और वितरण क्षमता में वृद्धि और दक्षता में सुधार है। ऊर्जा उत्पादन में 18.4% योगदान अक्षय ऊर्जा (मुख्य रूप से हवा आधारित) का है। यह बिल्कुल स्पष्ट रूप है कि आज भी अधिकांश बिजली जीवाश्म ईंधन से उत्पन्न की जाती है, जो कार्बन उत्सर्जन, जलवायु परिवर्तन आदि के लिए ज़िम्मेदार है। अतः, इस क्षेत्र में अगली बड़ी चुनौती इसे "स्वच्छ और हरित" बनाना है। इसके महत्व को ध्यान को ध्यान में रखते हुए, भारत सरकार ने वर्ष 2015 में पेरिस में आयोजित संयुक्त राष्ट्र जलवायु परिवर्तन सम्मेलन (सीओपी 21) के दौरान वर्ष 2030 तक गैर जीवाश्म ईंधन आधारित ऊर्जा संसाधनों से 40% संचयी विद्युत शक्ति स्थापित क्षमता प्राप्त करने के महत्वाकांक्षी लक्ष्य को अपनाया है।
उपरोक्तानुसार, नवोदय विद्यालय समिति (न.वि.स.) देश भर के जवाहर नवोदय विद्यालयों (ज.न.वि.) में रूफटॉप सौर परियोजनाओं की स्थापना के माध्यम से सरकार के "हरित अभियान" में इस अंतिम लक्ष्य के साथ शामिल हो गई है कि सभी ज.न.वि. की छतों का उपयोग सौर पैनल लगाकर स्वच्छ एवं हरित ऊर्जा का उत्पादन करने में किया जाएगा।
नवीन और नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय (एमएनआरई), जो नवीन और नवीकरणीय ऊर्जा से संबंधित सभी मामलों के लिए भारत सरकार की नोडल मंत्रालय है, सौर लक्ष्यों को पूरा करने के लिए विभिन्न योजनाओं और कार्यक्रमों को कार्यान्वित कर रहा है। ऐसी एक योजना "उपलब्धि-लिंक्ड-प्रोत्साहन योजना" है, जो विशेष रूप से सरकारी भवनों के लिए डिज़ाइन की गई है, जिसमें रूफटॉप सौर पीवी सिस्टम के कार्यान्वयन को प्रोत्साहित किया जाता है।
रूफटॉप सौर परियोजनाओं के कार्यान्वयन हेतु परियोजना प्रबंधन सेवाओं (पीएमसी) प्रदान करने के लिए न.वि.स. ने एमएनआरई के साथ सूचीबद्ध एक विशेषज्ञ सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रम (अर्थात् सरकारी एजेंसी) के साथ समझौता ज्ञापन (एमओयू) किया है। इन सेवाओं में बोली दस्तावेज, समीक्षा और इंजीनियरिंग दस्तावेजों की स्वीकृति, कार्यान्वयन एवं संचालन तथा रखरखाव आदि की निगरानी शामिल है।
छत की जगह और ऊर्जा खपत के मौजूदा स्तर की उपलब्धता के आधार पर, चरण-1 में 27 राज्यों / केंद्र शासित प्रदेशों में स्थित 252 ज.न.वि. में 18.78 मेगावाट के कार्यान्वयन का निर्णय लिया गया है। यह संचयी क्षमता लगभग 25 मिलियन यूनिट बिजली प्रति वर्ष उत्पन्न करने में सक्षम होगी, जो 18,605 टन तक कार्बन डाई ऑक्साइड उत्सर्जन (वैश्विक और जलवायु परिवर्तन में प्रमुख योगदानकर्ता) को कम कर सकती है।
रूफटॉप सौर पीवी सिस्टम की उपरोक्त क्षमता आर.ई.एस.सी.ओ. मॉडल के अंतर्गत ज.न.वि. में स्थापित करने की योजना है, जिसमें सौर विकासक निवेश करता है; सिस्टम स्थापित करता है तथा बोली प्रक्रिया के माध्यम से तय दर के अनुसार 25 वर्ष की अवधि के लिए ज.न.वि. को बिजली आपूर्ति करता है। ये सिस्टम राज्यों / केंद्रशासित प्रदेशों के मौजूदा नेट-मीटरींग विनियमों के अंतर्गत ग्रिड से जुड़े होंगे। .
इन परियोजनाओं को 6 माह के भीतर पूरा होने की उम्मीद है। परियोजना के दूसरे चरण में इसो अन्य ज.न.वि. में इसें कार्यान्वित करने की योजना है। अब तक आईएसटीएसएल द्वारा 264 स्थानों के लिए बोली आमंत्रित की गई है और इसे अंतिम रूप दिया गया है तथा सफल बोलीदाताओं द्वारा स्थल सर्वेक्षण किया गया है।