नवोदय विद्यालय योजना, समूचे देश में विशेषकर ग्रामीण बच्चों के लिए गति-निर्धारक संस्थान स्थापित करने की एक अनूठी योजना है। अपने निर्धारित उद्देश्यों को हासिल करने के लिए समिति के पास उपलब्ध सबसे महत्वपूर्ण साधन ‘अध्यापक’ के रूप में उसका मानव संसाधन है। अतः यह आवश्यक है कि अध्यापकों को उनकी व्यावसायिक क्षमता में वृद्धि करने एवं शिक्षा के क्षेत्र में आधुनिक नवीनतम, पाठ्यचर्या संबंधी सुधारों और सूचना प्रौद्योगिकी के प्रति जागरूक बनाए रखने के लिए लगातार संस्थागत सहायता सुलभ करवाई जाए।
नवोदय विद्यालय के लिए अध्यापकों की भर्ती अखिल भारतीय स्तर पर खुली प्रतियोगिता के द्वारा की जाती है। विषय-वस्तु एवं प्रणाली विज्ञान दोनों प्रकार के व्यावसायिक विकास के उन्नयन के लिए सेवाकालीन प्रशिक्षण पाठ्यक्रम, नवोदय विद्यालय योजना से बाहरी एवं आंतरिक संसाधनों के माध्यम से संचालित किए जा रहे हैं । इन अध्यापकों को केवल वरिष्ठ अथवा चयन वेतनमान प्राप्त करने की योग्यता हासिल करने के लिए ही नहीं बल्कि नवोदय विद्यालय योजना की गति नियामक विशेषताओं को बनाए रखने के लिए प्रत्येक पांच वर्ष में कम से कम एक बार 21 दिवसीय सेवाकालीन प्रशिक्षण लेना होता है। लम्बी अवधि (21 दिन) के सेवाकालीन प्रशिक्षण पाठ्यक्रमों के अलावा अल्पकालीन प्रवेश अभिमुखीकरण पाठ्यक्रम, संगोष्ठियां, कार्यशालाएँ इत्यादि भी अध्यापकों के प्रशिक्षण कार्यक्रम के एक भाग के रूप में प्रत्येक वर्ष आयोजित किए जाते हैं।
अध्यापकों को नवाचार एवं प्रयोग के द्वारा उच्च-स्तरीय योग्यता हासिल करने में मदद करने के लिए उन्हें प्रशिक्षण प्रदान करना अध्यापन कौशल उन्नयन का महत्वपूर्ण पहलू है। विद्यालयों में आधुनिक शैक्षिक तकनीक, उचित अंतर-वैयक्तिक संबंध, सही प्रकार के शैक्षिक वातावरण, मूल्य अभिमुखीकरण, परस्पर बातचीत और पठन-पाठन प्रक्रिया में सहभागिता के दृष्टिकोण पर जोर दिया जाता है। समिति ने राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान एवं प्रशिक्षण परिषद, राष्ट्रीय शैक्षिक योजना एवं प्रशासन विश्वविद्यालय, क्षे़त्रीय शिक्षा संस्थान, भारतीय लोक प्रशासन संस्थान जैसे देश के उच्चतर शिक्षण संस्थानों के सहयोग से अध्यापकों को सेवापूर्व एवं सेवाकालीन प्रशिक्षण दिलाने पर भी ध्यान दिया है।