"स्वच्छता ही ईश्वरत्व" है, जो राष्ट्रपिता महात्मा गांधीजी का मंत्र है।
हमें धरती पर हमेशा के लिए जीवन अस्तित्व की संभावना बनाने के लिए पर्यावरण और
प्राकृतिक संसाधनों (जल, भोजन, भूमि, आदि) को अपने शरीर की स्वच्छता के साथ मिलकर
बनाए रखना चाहिए।. इसके बाद-हमारे प्रिंसिपल सर ने स्वच्छता से जुड़े कुछ सुझाव दिए। .
कार्यक्रम के लिए स्कूल में श्रमदान (स्वच्छता का संकल्प)लिया गया |