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Thur Dec 7 2017 , 13:28:16

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नवोदय विद्यालय समिति

Navodaya Vidyalaya Samiti

( An Autonomous Body Under Ministry of Education ) Government Of India

जवाहर नवोदय विद्यालय,कोंडागांव (छ.ग.)

Jawahar Navodaya Vidyalaya,Kondagaon

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जनजातीय गौरव दिवस 2024

वर्ष 2021 में, केंद्र सरकार ने 15 नवंबर, भगवान बिरसा मुंडा की जयंती को राष्ट्रीय जनजातीय गौरव दिवस के रूप में घोषित किया। इसका उद्देश्य भगवान बिरसा मुंडा और अन्य जनजातीय स्वतंत्रता सेनानियों के योगदान को सम्मान देना है। अपनी परंपराओं और गौरवपूर्ण इतिहास को स्वीकार करें। यह दिन एक महत्त्वपूर्ण अवसर है: जनजातीय समाज के संघर्षों को याद करें। उनके महत्त्वपूर्ण योगदान को पहचानें। अनुसूचित जनजातियों के संरक्षण के संबंध में भारतीय संविधान: अनुच्छेद 46 अनुसूचित जनजातियों के शैक्षिक और आर्थिक हितों को बढ़ावा देने तथा उन्हें सामाजिक अन्याय और सभी प्रकार के शोषण से सुरक्षा प्रदान करता है। अनुच्छेद 243: इसमें पंचायतों में अनुसूचित जनजातियों के लिये सीटों के आरक्षण का प्रावधान शामिल है। अनुच्छेद 330: लोकसभा में अनुसूचित जनजातियों के लिये सीटों के आरक्षण का प्रावधान करता है। अनुच्छेद 337: राज्य विधानमंडलों में अनुसूचित जनजातियों के लिये सीटों के आरक्षण का प्रावधान करता है। अनुच्छेद 342: इस प्रावधान के अनुसार, राष्ट्रपति, संबंधित राज्य के राज्यपाल (राज्य के मामले में) से परामर्श करने के बाद, सार्वजनिक अधिसूचना के माध्यम से उन समुदायों को सूचीबद्ध कर सकते हैं जिन्हें उस उद्देश्य के लिये अनुसूचित जनजाति माना जाएगा। हालाँकि, संविधान में अनुसूचित जनजातियों को स्पष्ट रूप से परिभाषित नहीं किया गया है। अनुच्छेद 350: अपनी मातृभाषा में शिक्षा तथा लिपि और संस्कृति के संरक्षण का अधिकार प्रदान करता है। अनुच्छेद 371: इसमें पूर्वोत्तर राज्यों और सिक्किम से संबंधित विशेष प्रावधान शामिल हैं। भगवान बिरसा मुंडा के बारे में जन्म : 15 नवंबर 1875, उलिहातु गाँव, झारखंड में एक साधारण मुंडा परिवार में। प्रारंभिक संघर्ष : छोटी उम्र से ही आर्थिक कठिनाइयों का सामना करना पड़ा; सामाजिक असमानता और उत्पीड़न का अनुभव किया। स्वतंत्रता संग्राम में भूमिका : ब्रिटिश औपनिवेशिक शासन के विरुद्ध उलगुलान (जनजातीय विद्रोह) का नेतृत्व किया। ब्रिटिश-लागू भूमि नीतियों, जबरन धर्मांतरण और जनजातीय परंपराओं में हस्तक्षेप करने वाले कानूनों के खिलाफ लड़ाई लड़ी। समाज सुधारक : जनजातीय समाज में अंधविश्वास, जातिगत भेदभाव, शराबखोरी और अन्य सामाजिक बुराइयों के खिलाफ जागरूकता फैलाना। उन्होंने अपने अनुयायियों के बीच शिक्षा और एकता के महत्त्व पर ज़ोर दिया। धार्मिक आंदोलन : शुद्धता, सादगी और सत्य के पालन को बढ़ावा देने के लिये बिरसाइत आंदोलन की शुरुआत की। भारतीय स्वतंत्रता में योगदान : उनके नेतृत्व और बलिदान ने भारतीय स्वतंत्रता संग्राम को नई दिशा दी। अन्य जनजातीय समुदायों को स्वतंत्रता आंदोलन में सक्रिय रूप से भाग लेने के लिये प्रेरित किया।